She Review: उलझी कहानी पर सुलझी एक्टिंग, जानिए कैसा है इम्तियाज़ अली का डिजिटल डेब्यू?

नई दिल्ली । She Review:'तमाशा' और 'रॉकस्टार' जैसी फ़िल्में बनाने वाले फ़िल्ममेकर इम्तियाज़ अली के डिजिटल डेब्यू का दर्शकों को लंबे समय से इंतज़ार था। नेटफ्लिक्स ऑरिजिनल वेब सीरीज़ 'शी' के साथ उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत कर दी है। हालांकि, इस वेब सीरीज़ को उन्होंने सिर्फ लिखा है, जबकि डायरेक्ट किया है आरिफ़ अली और अविनास दास ने। अविनास दास इससे पहले 'अनारकली ऑफ़ आरा' बना चुके हैं। वहीं, आरिफ अली 'लेकर हम दिवाना दिल' बना चुके हैं।


नेटफ्लिक्स की इस वेब सीरीज़ दर्शकों को काफी उम्मीदें थी, क्योंकि इस साल सीरीज़ में 'ताजमहल 1989' के अलावा किसी भी सीरीज़ ने ख़ास प्रभावित नहीं किया है। इम्तियाज़ अली के लेखन के अलावा सीरीज़ में विजय वर्मा और अदिति पोहंकर जैसे पावरफुल एक्टर भी हैं। आइए जानते हैं कि इतने मसालों के बाद सिनेमाई खिचड़ी कैसी बनी है?


वेब सीरीज़ की कहानी एक सीनियर पुलिस कॉन्स्टेबल भूमिका परदेशी की है। भूमिका के हालात कुछ ख़ास नहीं हैं। भूमिका का पति उसे शारीरिक संबंधों की वजह से तलाक देने जा रहा है। वहीं, उसकी बहन उससे ज्यादा ख़ूबसूरत है और जिससे वह जलन महसूसस करती है। भूमिका की मां भी है, जो हमेशा बीमार रहती है। एक टीपिक्ल फ़िल्मी बैकाग्राउंड-सा लगता है। लेकिन स्क्रीन पर पुलिस कॉन्स्टेबल की स्थिति काफी रियल लगती है।


भूमिका की लाइफ में बदलाव तब आता है, जब क्राइम ब्रांच का ऑफ़िसर फर्नाडिस उसे एक ऑपरेशन के लिए मनाता है। भूमिका मुंबई के ड्रग्स और हीरोइन के बड़े स्मग्लर 'सस्या' को पकड़ने के लिए वैश्या बनकर जाती है। वह उसे पकड़ कर लाती है। इसके बाद भूमिका के लिए ख़ुद के मायने बदलने लगते हैं। 'सस्या' को पकड़वाने के बाद भूमिका को वापस अडंरकवर ऑपरेशन में भेजा जाता है। इस बार उसे 'सस्या' के बॉस और एशिया के बड़े स्मग्लर 'नायक' को पकड़ने का टॉस्क मिला है। क्या भूमिका उसे पकड़ पाती है, यह जानने के लिए आपको सीरीज़ देखनी पड़ेगी।


वेब सीरीज़ की सबसे बेहतरीन चीज है, इसके एक्टर। विजय वर्मा (सस्या) ने ना सिर्फ भाषा पर शानदार पकड़ बनाई है, बल्कि अपने किरदार को पूरी तरह से जस्टिफाई किया है। उनका किरदार काफी ग्रे शेड वाला है। विजय वर्मा इससे पहले नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ 'घोस्ट स्टोरीज़' में जोया अख़्तर वाले पार्ट में नज़र आ चुके हैं। उस सीरीज़ के हिसाब से विजय ने यहां और भी शानदार काम किया है। भूमिक परदेशी का किरदार निभाने वाली अदिति पोहंकर ने भी अच्छा काम किया है। वहीं, पुलिस वाले की भूमिका में विश्वास कनी भी काफी सही लगते हैं। 


इसके अलावा निर्देशक ने वेब सीरीज़ में एक बात का ख़ास ख्याल रखा है कि यह आपको कभी भी समय और स्थान से परे नहीं लगती है। कलाकारों ने जिस हिसाब से भाषा और संवाद पर पकड़ बनाई है, वह बेहतरीन लगता है। हालांकि, कहीं-कहीं अदिति पोहंकर भावशून्य लगती हैं। वेब सीरीज़ के तकनीकी पक्ष भी अच्छे हैं। आर्ट डायरेक्शन काफी सही शानदार है


वेब सीरीज़ की कहानी काफी कमजोर है। इम्तियाज़ के लेवल से देंखे, तो काफी निराश करने वाली है। वेब सीरीज़ कभी भी स्पीड नहीं पकड़ पाती है। यह लगातार स्लो रहती है। इसको देखने के लिए आपको काफी धैर्य की जरूरत है। कुछ ऐसे भी किरदार हैं, जिनका ना होना से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इम्तियाज़ की फ़िल्म 'तमाशा' की तरह ही, इसमें भी एक पागल बूढ़ा है। यह क्यों है, इसका क्या काम है, यह समझना काफी मुश्किल है। वेब सीरीज़ को एक महिला के महत्वाकांक्षा और सोच के आधार पर लिखा गया है, लेकिन अंत इस हिसाब से कुछ ख़ास ठीक नहीं लगता।


क्राइम वाले पार्ट पर भी इतना फोकस नहीं किया गया है, जबकि वेब सीरीज़ में इसके लिए काफी स्पेस है। पुलिस वालों के काम को रियलिस्टक रखने की कोशिश की गई है। हालांकि, इसमें कई बार लूप होल्स नज़र आते हैं। डार्क मतलब सिर्फ अंधेरे से नहीं होता है। कहानी को जटिल बनाने से थ्रिल नहीं आता। 'शी' को देखकर कुछ ऐसा ही लगता है। पूरी वेब सीरीज़ में आप एक्साइमेंट खोजन में लगे रहते है। कभी-कभी यह बाउंसर की तरह बिलकुल ही ऊपर से चली जाती है। एक्टिंग एक मात्र वजह है, जिसके लिए आप इस सीरीज़ को देख सकते हैं।